You have eyes, ears to engage in the world, to benefit the world. If you are only lost in meditation with closed eyes then what is the use of these eyes. They are given to do some karma , तुम्हे कर्त्तव्य करने के लिए आँखें , कान और शरीर दिया जाता है, जिससे तुम कर्त्तव्य करो और कर्म करते करते जब राग द्वेष उठें तो उनको इस्वर मैं समर्पण कर दो। when you engage in the worldly affairs it is natural for you to get attracted to certain aspects of the work and hate or dislike certain aspects of the work. When these attractions or aversions come then is the time for you to surrender them to me and move on with your work. This is spirituality. यही अध्यात्म हैं। व्यवहार मैं अध्यात्म आ जाये तो जीवन पूर्ण होने लगता है. इस्वर को अपना मान लेते हो , उससे संबंद जोड़ लेते हो तो इस्वर भी बुद्धि देने लगता है. कभी कभी रति/भक्ति और ज्ञान एक साथ आते हैं और अधिकतर पहले भक्ति प्रेम आता है और फिर ज्ञान आता है, बुद्धि आती है. जब बच्चा जन्म लेता है तब जानता की माँ क्या है लेकिन फिर भी वह...
"Sofar" captures the distance traveled so far from now.