बेटी के जन्मदिन के उपहार, आपके कहाँ हैं ? |
क्या आपको लगता है की यह समय जो आपको, इस पृथ्वी पर मिला है, वह एक उपहार है ?
क्या आपको लगता है की जो साँस आप लेते हो, वह भी एक उपहार है ?
क्या आपको लगता है की यह लयबद्ध दिल की धड़कने भी एक उपहार हैं ?
क्या आपको लगता है कि यह शरीर जो आपको मिला है, एक उपहार है ?
क्या आपको यह भी लगता है कि यह पेड़, वायु, पर्वत, सूर्य , चन्द्रमा,... यह सब भी उपहार हैं?
क्या ऐसा लगता है की यह सारी सृष्टि आपके लिए रचा कर, आपको उपहार रूप मैं समर्पित है?
जब आपको उपहार मिलता है तो आप क्या करते हो?
मुंह लटका के तो नहीं बैठते हो, हैना?
आप उछलते हो, कूदते हो, चिल्लाते हो, हँसते हो, रोते हो, कई रूप मैं अपनी कृत्यज्ञता व्यक्त करते हो, करते हो की नहीं?
अहा!, ओह्हो!, मैं आपका धन्यभागी हूँ, मैं अपना आभार कैसे व्यक्त करूँ , आप कितने दयालु हो, आपने मेरे बारे मैं सोचा, कब से मैं इसका इंतज़ार कर रही थी, मैं सरे जीवन भर आपको याद करूंगी, आप कितने दिलदार हो, मुझसे यह ख़ुशी समाय नहीं संभलती , मुझे पता नहीं मैं क्या कहूँ ... वगैरह वगैरह
जब अगली साँस एक उपहार बनके आती है तब आपको कैसा लगता है ?
जब अगली साँस अपने आप आपके शरीर को छोड़के जाती है तब आपको कैसा लगता है ?
कुछ लगता है की नहीं ?
जब आपको यह साँस मिली तो क्या आपको लगा की उसके प्रति आपको अपनी कृत्यज्ञता प्रकट करनी चाहिए ?
जब यह साँस ही नहीं रहेगी तब का तो इंतज़ार नहीं हो ?
यह जो जीवन है यह एक भेंट है, उपहार है।
इस लोक मैं जो समय आपको मिला है वह भी उपहार है।
कई कारण है आपके इस वक़्त यहाँ होने के। हम उस पर चर्चा नहीं करेंगे।
लेकिन यह जीवन जो हमें मिला है उसके साथ आपको क्या करना है, उसपर हम थोड़ा मनन करेंगे ।
खुल कर जीवन जियो।
अभी इस वक़्त से ही।
कैसे?
सुदर्शन क्रिया एक साँस लेने की तकनीक है जो आपको आपकी सांस की शक्ति का आभास कराती है। आजकल यह घर बैठे बैठे आप सीख सकते हो हमारे ऑनलाइन प्राणायाम और ध्यान शिबिर मैं । यह जीवन जीने की कला नामक संस्था से शिक्षित आचार्य आपको सिखाते हैं.
यह ऊपर जो लिखा है उसका बीज भी कल गुरुदेव श्री श्री रविशंकर जी द्वारा किये गए ध्यान मैं आया था।
ओर अगर आप चाहें तो ऊपर जो लिखा उसे मुझसे सुन भी सकते हैं
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