We look for surprise or wonder in the unusual. The things that are not common are termed miracles. If a mango tree gives mango its not a miracle but if a coconut tree gives mango then its miracle.
हम अक्सर आशर्य/अचरच/अद्भुत उस घटना को मानतें हैं जो असाधारण होती है , जो रोजमर्रा मैं नहीं होती। जैसे एक आम के पेड़ पर आम का होना या फिर नारियल के पेड़ पर नारियल का होना साधारण बात है, लेकिन एक नारियल के पेड़ पर आम होना अद्भुत घटना होती है।
यह नहीं है की वोह सिर्फ गुरु मैं हैं और मुझमें नहीं है. अगर वोह सर्वत्र है तो जितना मुझमें हैं उतना तुझमें भी है।फर्क इतना है की गुरु मैं दिखतें है।
यह नहीं की तुम अपनी कमजोरियों मैं खोये रहो। परमात्मा उन सारी कमजोरियों को दूर करनें मैं सक्षम हैं। वो समर्थ भी हैन.
यह भी नहीं की शिव कैलाश-मानसरोवर मैं ही हैं. थोडा सा डेहर जाओ, थम जाओ तो परमात्मा अभी , येहीं तुझमें हैं। संत कबीर भी येही कह गए हैं की जब मैं हरी को ठूनता रहा तब तो मिले नहीं और जब मैं रुक गया तो मेरे पीछे ही मिले.
श्री कृष्ण कहतें हैं की मेरे कारण से तुम हो, मेरे होने से तुम हो. जब गर्भ मैं जीव का जन्म होता है, जब भी सृष्टी मैं सृजन होता है मुझसे ही होता है, जब जीवन ठेहेरता है तो मुझमें ही ठेहेरता है, और जब आत्मा शरीर छोडती है तो मुझमें ही लौटकर मिल जाती है. जब भी तुझमें कुछ परिवर्तन होता है वोह मेरे कारन होता है।
फिर अपने कर्मानुसार वोह फिर जनमती है।
यह प्रकृति भी मुझसे ही है, मेरे ही नियमों का पालन करती रहती है और मैं इसे देखते रहता हूँ एक उदासीन भाव से. जैसे की एक रेल यात्रा मैं तुम द्रश्य देखते रहते हो। द्रश्य बदलते रहतें हैं, कहीं भी मैं दखल नहीं देता हूँ और न ही कहता हूँ की यह दृश्य मुझे पसंद नहीं इसे बदल दो.
जबकि सब मुझसे है लेकिन इस प्रकृति मैं जो कर्म होतें हैं उसका असर मुझ पर नहीं पड़ता है. जिस प्रकार एक चाकू वैद के हाथ मैं भी होता है और डाकू के, दोनों पेट काटतें हैं लेकिन डॉक्टर को हत्या का पाप नहीं लगता है पर डाकू को उसके लिए जेल मिलती है.
मैं अव्यक्त हूँ, न ही मैं दूषित होता हूँ, जैसे की आकाश तत्व. प्रथ्वी मैं गंदगी हो सकती है, अग्नि दूषित हो सकती हैं, जल मैं प्रदुषण हो सकता है लेकिन आकाश निर्लिप्त है, उसे कोई छु नहीं सकता। आकाश से ही सब हैं लेकिन सब सब मैं नहीं है.
जब तुम मुर्ख व्यक्ति मैं भी ईश्वर को देखने लगोगे तब परमात्मा तुम्हारी दृष्टि से अदृस्य नहीं हो सकते।
When you can see the God in foolish around you then the God will not diminish from your vision, even for a while.
It is easy to see the God in Guru, but that same God is also in you as much it is in me. He has always been and will always be. He is very powerful, capable and a little faith in you can help him overcome all your weaknesses.
He has created everything, every being, every particle in this universe. Everything is born out of him, dwells in him and goes into him. Scientists have talked about black holes, dark matter and dark energy but they have not understood it enough. It is the powerful dark energy around sun which gives it its shape, everything spherical in the universe has got its shape from the powerful energy around them. You too have that energy within you.
Sometimes you have this vague feeling that something in you is observing all that is happening around you, in you. This witness is the God in you. It is you. You are the miracle happening every moment.
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आज कल परम पूज्य श्री श्री रविशंकर जी भग्वद गीता का नौवा अध्याय पर चर्चा कर रहें है आश्रम मैं।
HH +Sri Sri Ravi Shankar ji is giving discourse on bhagvad geeta at +Art of Living international ashram at bangalore. The above is a recollection of what I have heard.
हम अक्सर आशर्य/अचरच/अद्भुत उस घटना को मानतें हैं जो असाधारण होती है , जो रोजमर्रा मैं नहीं होती। जैसे एक आम के पेड़ पर आम का होना या फिर नारियल के पेड़ पर नारियल का होना साधारण बात है, लेकिन एक नारियल के पेड़ पर आम होना अद्भुत घटना होती है।
परमात्मा सर्वत्र हैं, सर्वदा से हैं और समर्थ है।यह नहीं की कोई इंसान ५ हज़ार साल पहले हुआ था और जिसके हाथ मैं बांसुरी थी वही परमात्मा था, वह तब भी था और अब भी है।
यह नहीं है की वोह सिर्फ गुरु मैं हैं और मुझमें नहीं है. अगर वोह सर्वत्र है तो जितना मुझमें हैं उतना तुझमें भी है।फर्क इतना है की गुरु मैं दिखतें है।
यह नहीं की तुम अपनी कमजोरियों मैं खोये रहो। परमात्मा उन सारी कमजोरियों को दूर करनें मैं सक्षम हैं। वो समर्थ भी हैन.
यह भी नहीं की शिव कैलाश-मानसरोवर मैं ही हैं. थोडा सा डेहर जाओ, थम जाओ तो परमात्मा अभी , येहीं तुझमें हैं। संत कबीर भी येही कह गए हैं की जब मैं हरी को ठूनता रहा तब तो मिले नहीं और जब मैं रुक गया तो मेरे पीछे ही मिले.
श्री कृष्ण कहतें हैं की मेरे कारण से तुम हो, मेरे होने से तुम हो. जब गर्भ मैं जीव का जन्म होता है, जब भी सृष्टी मैं सृजन होता है मुझसे ही होता है, जब जीवन ठेहेरता है तो मुझमें ही ठेहेरता है, और जब आत्मा शरीर छोडती है तो मुझमें ही लौटकर मिल जाती है. जब भी तुझमें कुछ परिवर्तन होता है वोह मेरे कारन होता है।
फिर अपने कर्मानुसार वोह फिर जनमती है।
यह प्रकृति भी मुझसे ही है, मेरे ही नियमों का पालन करती रहती है और मैं इसे देखते रहता हूँ एक उदासीन भाव से. जैसे की एक रेल यात्रा मैं तुम द्रश्य देखते रहते हो। द्रश्य बदलते रहतें हैं, कहीं भी मैं दखल नहीं देता हूँ और न ही कहता हूँ की यह दृश्य मुझे पसंद नहीं इसे बदल दो.
जबकि सब मुझसे है लेकिन इस प्रकृति मैं जो कर्म होतें हैं उसका असर मुझ पर नहीं पड़ता है. जिस प्रकार एक चाकू वैद के हाथ मैं भी होता है और डाकू के, दोनों पेट काटतें हैं लेकिन डॉक्टर को हत्या का पाप नहीं लगता है पर डाकू को उसके लिए जेल मिलती है.
मैं अव्यक्त हूँ, न ही मैं दूषित होता हूँ, जैसे की आकाश तत्व. प्रथ्वी मैं गंदगी हो सकती है, अग्नि दूषित हो सकती हैं, जल मैं प्रदुषण हो सकता है लेकिन आकाश निर्लिप्त है, उसे कोई छु नहीं सकता। आकाश से ही सब हैं लेकिन सब सब मैं नहीं है.
जब तुम मुर्ख व्यक्ति मैं भी ईश्वर को देखने लगोगे तब परमात्मा तुम्हारी दृष्टि से अदृस्य नहीं हो सकते।
When you can see the God in foolish around you then the God will not diminish from your vision, even for a while.
It is easy to see the God in Guru, but that same God is also in you as much it is in me. He has always been and will always be. He is very powerful, capable and a little faith in you can help him overcome all your weaknesses.
He has created everything, every being, every particle in this universe. Everything is born out of him, dwells in him and goes into him. Scientists have talked about black holes, dark matter and dark energy but they have not understood it enough. It is the powerful dark energy around sun which gives it its shape, everything spherical in the universe has got its shape from the powerful energy around them. You too have that energy within you.
Sometimes you have this vague feeling that something in you is observing all that is happening around you, in you. This witness is the God in you. It is you. You are the miracle happening every moment.
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आज कल परम पूज्य श्री श्री रविशंकर जी भग्वद गीता का नौवा अध्याय पर चर्चा कर रहें है आश्रम मैं।
HH +Sri Sri Ravi Shankar ji is giving discourse on bhagvad geeta at +Art of Living international ashram at bangalore. The above is a recollection of what I have heard.
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