Skip to main content

When will you become love? तुम प्रेमी कब बनोगे?


A lover is rough translation of hindi word प्रेमी। तुम प्रेमी कब बनोगे?

अच्छा, प्रेमी कैसे बनते हैं? How do you become love?

Do you need a degree? Do you need special coaching? Do need separate schooling?

प्रेमी बनने के लिए कोई डिग्री चाहिए क्या? किसी विध्यालय मैं पढाई करनी होगी क्या?

None.
कुछ भी नहीं चाहिए।

तो फिर क्या चाहिए।

सिर्फ यह मान लो की तुम प्रेमी हो। प्रेम मानने से शुरू होता है।

आस्तिक कौन होता है?
वो जो मानता है की परमात्मा हैं, अभी हैं, यहाँ हैं।
जब सब मैं हैं तो मुझ मैं भी हैं।
जब हमेशा रहें हैं तो अभी भी हैं और हमेशा रहेंगे।  
मेरे दुःख दर्द दूर करने मैं सक्षम हैं। 
परमात्मा सर्वत्र हैं, सर्वदा हैं, और समर्थ हैं। 
नास्तिक यह नहीं मानता और खुद मैं उलझा रहता है।

लोगों मैं भाव तत्व या फिर बुद्धि तत्व अधिक होता है।

जो भावात्मक होतें हैं उन्हें सत्संग, भजन, अच्छे लगते हैं। वो एक ही नाम को बार बार दोहराने मैं मजा लेते हैं। अक्सर हम देखतें हैं की प्रेम मैं प्रेमी प्रेमिका "मैं तुम्हे प्रेम करता/ती हूँ " जगह जगह , बार बार लिक्तैन हैं।

एक बुद्धिजीवी को यह जचता नहीं, उससे लगता है यह एक बार बोलके चुप क्यूं नहीं रह सकते। वह इसका वैज्ञानिक हल ढूँढता है और कहता है यह लोग अपने भाव मैं डूब गए हैं क्यूंकि इनके मस्तिस्क मैं  endomorphine की मात्रा बड़ने से हो रहा है।

गीता मैं श्री कृष्ण कहतें हैं की जब तक कोई भी (चाहे भावनात्मक या फिर बुद्धिजीवी हो ) व्यक्ति उस तत्व को मानता है जो अभी तक अव्यक्त है लेकिन उसे लगता है की ऐसा कुछ है जिसकी खोज करनी है वो सब मुझे पाते हैं।

There are two types of people in this world. One is predominantly based on emotions and other on intelligence.

Emotional people keep repeating same thing again and again in singing/dancing when in love. They do not get bored of repetitions. They cannot withstand an intelligent  discussion for long. They don't worry about reason, they simply live love. They fall in love of the unknown and remain in that bliss.

The intelligent ones analyze and do scientific reasoning for all around. They cannot withstand the emotional people as they don't understand their repetitions, they say "don't they get tired of repeating the same thing".

Intelligent ones  look for reasons like why do people in Gulf countries or places of desert cover their head. They find its not to do with religion but instead to protest their head from the heat and sandstorms, Desert place do not have water to wash head everyday. Same with people in colder regions wearing scarves, to protect their head and ears from the cold air/wind. But people in evergreen places do not need these protection. In their search for reason there is always one thing which is unknown and they may call it god particle or something else but they continue to explore and keep moving on the journey to find the unknown.

Shree Krishna in Bhagvad Geeta says both the intelligent ones and the emotional ones find me. The world is full of variety. There is variety in bananas, in apples. There is variety in cultures/rituals of people from different regions. There is so much variety in people's nature. But all those who believe that there is something unknown which is unexplained but exits. The belief in THAT makes people atheist, they are the ones who know me and stay with me.

===========================
Most of the content above is inspired from Commentary on Bhagvad Geeta Chapter 11 by HH +Sri Sri Ravi Shankar ji at Satsang on 05-06-2013 Bangalore +Art of Living ashram.

If you need to listen the recap in person then you can do so in the RBI Layout art of living followup center opposite Anjaneya temple at regular sunday followup at 7AM. You need to have done the +Art of Living part 1 course to attend the followup.

=========
There were around 1000 people from Mumbai alone for Advanced meditation course with Sri Sri. Aroud 1000 plus also from Orrisa, West Bengal, Madhya Pradesh and Chattisgarh. Last week there were around 2000 people from Rest of Maharastra doing AMC with Shakti Kriya in Ashram. If your state is going for Advance course then its also a good time to experience shakti kriya.

We need to plant atleast 5 trees in our lifetime, atleast one of them has to be neem tree. People in the village side used to do it but we are losing this culture and the rains.



Comments

Popular posts from this blog

Success is exchange of energy

The definition of success is very elusive. It means different things in different phases of life to different people. When I was in school and college it was to pass somehow. When I was in 12th it was to get into engineering somehow. When I was in job it was to make more money anyhow. When you were in marriage it was to demand happiness and feel proud in pronouncing to yourself that every act of a frustrating job was for the sake of family and their well being. I was focusing on doing. I was focusing on achievement. So whenever I reflected back in life I always felt less. I could have been an IITian, I could not crack CAT. I could not join an organization during their early stock offer days. I could not go to US and earn in dollars. I simply missed doing too many things.  Now I feel lack of achievement. Now I feel lack of doing. Did I miss out on something while I was undergoing all this doing? Why was I nervous all this while? Why did one achievement led to other? Why...

तुम दीन नहीं हो - live ashtavakra commentary by Sri Sri Ravishankar ji

तुम वही हो. तुम सूर्य कि किरण नहीं, तुम उस किरण का विस्तार हो. तुम सूर्य हो.  जिस प्रकार सूर्ये अपनी किरणों को हर खिड़की के माध्यम से हर घर मैं भेजता है, उसी प्रकार परमात्मा अपनी पूर्णता को छोटी छोटी आत्मायों मैं भेजता है.  यह बात दूसरी है कि जब आत्मा अपने पुर मैं वास करने लगती है, अपने शरीर रुपी घर मैं रहने  लगती है तो भूल जाती है कि वह सिमित नहीं है, उसका विस्तार ही परमात्मा है.  लेकिन घर मैं घुसने के बाद आप कांच के टुकड़े मैं सूर्य का प्रतिबिम्ब देखते हो ओर अपने आप को सिर्फ एक किरण मात्र समझने लगते हो. जरा बाहर झाँक कर भी देखो, सूर्य का अनुभव तो करो. तुम्हारे आस पास भी वही सूर्य का अंश है. तुम्हारे पड़ोस मैं भी वही सूर्य कि किरण है, तुम्हारे गाँव मैं जो रिश्तेदार हैं वहां भी वही सूर्ये है. सूर्य कोई भेद भाव नहीं करता. तुम क्यूं ऊँच- नींच मैं पड़े हो.  तुम्हारे दुःख का कारण  क्या है. तुम गुरु से तो मिले हो. तुमने गुरु को साक्षात् किया है. लेकिन तुम संपूर्णतः यह निश्चय नहीं कर पाए हो कि येही सत्य है. पूरे भरोसे कि कमी होने से ही दुःख होता है....

सोहम का महत्व - live ashtavakra by Sri Sri RaviShankarji

मैं वही हूँ. न मैं त्रितिये व्यक्ति मैं हूँ, न द्वितीये व्यक्ति मैं हूँ. मैं खुद खुदा हूँ. सो हम. यह नाम तुम्हे दिया गया है. यह तुम नहीं हो. एक बार एक संत जंगल के बीच मैं अपनी झोपड़ी मैं थे. तब वहां कोई ढेर सारा खाना लेके आ गया. उन्हें हैरानी हुई कि ऐसा क्यूं हुआ. तभी वहां ३-४ लोग आये ओर उनसे कहा कि हम भूखे हैं, हमें भोजन चाह्यिये. संत  ने कहा कि मिल जाएगा. वह लोग हैरान हुए ओर कहा कि यहाँ तो कुछ नज़र नहीं आता है. तब संत ने कहा कि "सच है कि मेरे पास कुछ नहीं है, लेकिन मैं जिसके पास हूँ उनके पास सब कुछ है. "   माँ बच्चे  को जन्म देने से पहले ही उसमें दूध आ जाता है. प्रकृति का नियम है कि जहाँ प्यास होनी होती है वहां पहले से पानी व्याप्त होता है. यह दूसरी बात है कि आपको  दीखता नहीं है.   आप पूर्ण हो क्यूंकि आप पूर्ण से बने हो ओर पूर्ण मैं रहते हो ओर पूर्ण मैं जाना है. पूर्ण मैं से पूर्ण को निकालने से क्या पूर्ण अधूरा हो जाता है. आप अकेले से बोर क्यूं होते हैं, क्यूंकि आप ने अपने आप को नीरस कर दिया है. आपके पास जिस परमात्मा को होना था वह आपको कहीं ओर दीखता...