एक था वक़्त जब मैं लिखा करती थी आसमां मैं उड़ते अरमान पकड़ा करती थी अनजाने मैं मुझे एक बंधन मैं पिरोया गया मुझे उम्मीदों की लहरों मैं छोड़ा गया जब उसने ऐसे जकड़ा मुझे पकड़ा, तोडा, मरोड़ा मुझे आसमां से पिंजरे मैं छोड़ा मुझे पंख कटे, अरमान मिटे दुनिया मेरी सिकुड गई अंगडाई भी लेने से भी मैं कांप गयी बोलने से पहले मैं संकुंच गयी अब सिर्फ डरती हूँ मैं सब करती हूँ पर यहाँ रहतीं नहीं हूँ मैं माँ के आँचल को खोजती हूँ मैं गुमशुदा ही सही पर घूमती हूँ मैं तलाश मैं हूँ मैं एक किनारे की आस मैं हूँ मैं उन हवा के झोकों की फ़िराक मैं हूँ मैं थपकियाँ जिनकी झपकियाँ देती मुझे थक गयी हूँ मैं थम गयी हूँ मैं
"Sofar" captures the distance traveled so far from now.