भगवान् को पूजा की
जरूरत नहीं
उसने तो बहाना
दिया है तुम्हे
दिया जलाने का
माहोल बनाने का
घर संसार मैं
उत्साह उमंग
लाने का
तुम्हारे घर उसके
चित्रों की प्रदर्शनी न हो
ओर ऐसा भी न हो कि
घर मैं स्थान ही न हो
बस एक दो ही सही
स्वछ और सुन्दर
स्थान पर हो
ऐसे भी नहीं की
सिर्फ दिवाली को
दिया जले और
दो इंची धूल साफ़ हो
घर मैं दिन मैं
एक बार दिया जले
तो संस्कार बनते हैं
वहाँ बच्चे भी
गुणवान और उत्साहित
हुआ करते हैं
आने जाने वाले भी
एक वीरान घर मैं नहीं
एक उत्सव मैं रुका
करते हैं
एक दिया की दिवाली हो
कुछ फूलों की माला हो
हलकी सी रंगोली
जीवन मैं रंग
और उमंग
भरती है
ध्यान सबसे बड़ी अर्चना है
लेकिन थोड़ी बहुत पूजा भी
घर मैं उत्सव बयान करती है
-----------------------------------------
Inspired by talk by +Sri Sri Ravi Shankar ji during satsang at +The Art of Living international ashram at kanakpura road, bangalore on 12th January 2013.
Every day we have satsang from 6:30-8PM at ashram except on sunday from 4:30-6PM
जरूरत नहीं
उसने तो बहाना
दिया है तुम्हे
दिया जलाने का
माहोल बनाने का
घर संसार मैं
उत्साह उमंग
लाने का
तुम्हारे घर उसके
चित्रों की प्रदर्शनी न हो
ओर ऐसा भी न हो कि
घर मैं स्थान ही न हो
बस एक दो ही सही
स्वछ और सुन्दर
स्थान पर हो
ऐसे भी नहीं की
सिर्फ दिवाली को
दिया जले और
दो इंची धूल साफ़ हो
घर मैं दिन मैं
एक बार दिया जले
तो संस्कार बनते हैं
वहाँ बच्चे भी
गुणवान और उत्साहित
हुआ करते हैं
आने जाने वाले भी
एक वीरान घर मैं नहीं
एक उत्सव मैं रुका
करते हैं
एक दिया की दिवाली हो
कुछ फूलों की माला हो
हलकी सी रंगोली
जीवन मैं रंग
और उमंग
भरती है
ध्यान सबसे बड़ी अर्चना है
लेकिन थोड़ी बहुत पूजा भी
घर मैं उत्सव बयान करती है
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Inspired by talk by +Sri Sri Ravi Shankar ji during satsang at +The Art of Living international ashram at kanakpura road, bangalore on 12th January 2013.
Every day we have satsang from 6:30-8PM at ashram except on sunday from 4:30-6PM
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