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Stages to manage mental blocks

A typical scenario at workplace. You believe your progress is hampered by your superior. He is stopping you from getting promoted. What will you do in this situation?
You will fight and feel the weight and hurt of banging against stone wall.
You will  give up and allow your self-esteem to dip and accept your defeat. There is not much you can do because the other person has been in organization for a long time and any word against him would lead to your losing the job.
There are four stages when we have to address situations like these in our lives

  1. Obstruction  - A person or event or comment disturbs our mind. We feel stuck. There is no way to go around. There is no way to go through. You have to face the situation.
  2. Instruction - You either tell your mind "This person is in my way" OR "This person is the way". The first will leave you frustrated and second will create a positive perception. You are glad that through this person you will learn more. You will go deeper in your awareness of your capabilities, your talents.
  3. Construction - The positive perception will lead to construction of a new learning in your life. The learning about how to handle a situation or person of this kind. Were you able to handle it with your strength (affirmation/acceptance/thankful) or with your weakness (anger/talk behind back/search for ears who only hear). 
  4. Destruction - Your old perceptions, defeatist attitude or collision particles will wither away.

The same is true of gossip, either in office or in neighborhood. लोगों की सड़ी बातें सुनकर उन्हें अपने संस्कार बना लेना भी कुछ कला है क्या? यह व्यर्ध के संकल्प हैं. यह तुम्हे समर्थ नहीं करेंगे. यह सिर्फ तुम्हारी आत्मा पर वजन हैं, उसे भारी बनाते हैं. आत्मा मैं भारीपन होने से शरीर कैसे हल्का रह सकता है. इसलिए शरीर का भी वजन बढता है.

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