तुम्हारी दृष्टी से तुम्हारी सृष्टि बनती है, तुम्हारी स्मृति तुम्हे विचार देती है. वह विचार तुम्हारे संकल्प बनेंगे. संकल्पों से दृष्टि कोण बनेगा. कर्म कुछ भी हो, उसके नतीजे कुछ भी निकलें, उससे तुम्हे कुछ फर्क नहीं पड़ेगा. तुम्हारी स्मृति मैं वही बात जाएगी जो निष्कर्ष तुम पहले बना चुके हो. जैसे किसी को तुम बूरा मान चुके हो और वह अच्छी बातें करेगा तो तुम शक करोगे की आज यह अच्छी बातें क्यूं कर रहा है, इसके मन मैं कोई खोट है. तुम परेशान हो जाओगे की आखिर यह मुझ से क्या चाहता है. If you entertain only positive thoughts in your morning hour of meditation then you will fill your memory with matters of soul. No matter how the day proceed, you will be reminded and be in continuous touch with your pure consciousness. "Your soul is pure" is not a plain sentence. Its a powerful belief that can create a perception in your mind that you are pure as well as your neighborhood is clean. Then, when you deal with souls around and you have real...
"Sofar" captures the distance traveled so far from now.